बहना कहती है
"बहना कहती है"
फिर से आया है रक्षाबंधन, पर खो गया है अपनापन।
बदल गयी है भावनाये, बदल रहा है अब जीवन।।
माँ - बाप नहीं तो मायके में अब प्यार नहीं मिलता,
भैया - भाभी के दरवाजे अब सत्कार नहीं मिलता।
तन जाती है भाई की भौहे जब दरवाजे बहना आती है,
देख रवैया अपनों का अब आँखे भर - भर आती है।
ये मेरा भी घर था, ये मेरी बचपन मेरी आदत है,
पर अब ये लगता है जैसे ये भैया की विरासत है।
दो दिन भी ठहरने का अब तो अधिकार नहीं मिलता।
भैया - भाभी के दरवाजे अब प्यार नहीं मिलता।।
क्यों ये लगता है भाई को कि बहना कुछ मांगने आयी है,
बहन तो भाई को बचपन की याद दिलाने आयी है।
याद दिलाना है उसको कभी गोदी में खिलाया था,
बड़ी बहन होने का मैंने फर्ज निभाया था।
कैसे उसको समझाऊ वो याद अभी तक आता है,
मुझे मायके में उसका ये मोह खींच ले जाता है।
भाई - बहन के रिश्ते में ब्यापार नहीं मिलता
भाई - भाभी के दरवाजे अब सत्कार नहीं मिलता।।
राखी बांधने से भी अब बहना का मन सकुचाता है,
भाई अब इस बंधन को लालच का बंधन बताता है।
कैसे उसको समझाऊ कि उसकी ये सोच तो झूठी है,
बहना तो भाई के बस दो प्यार के बोल कि भूखी है।
सहके ये अपमान भी बहना तो लौट ही जाएगी,
राखी नहीं बांधेगी फिर भी दुआ का दीप जलायेगी।
क्यों जाए उसके दरवाजे अब आभार नहीं मिलता।
भाई - भाभी के दरवाजे अब प्यार नहीं मिलता।।
याद मायके कि कर के मै दिन - रात रोती हूँ,
रहो सलामत भैया मै हर रोज दुवाएँ देती हूँ,
एक दिन तुम्हारी बेटी से जब यही सलूक दुहराया जायेगा,
उस दिन मेरा भैया मेरा भी दर्द समझ ही जायेगा।
बेटी के चेहरे में तब वो बहना को भी देखेगा,
कितना मुझको दर्द हुआ इस बात को फिर वो समझेगा।
दुनिया के हर भाई को ये बात समझना ही होगा,
आज जो बहना रोती है कल बेटी को रोना होगा।
जो तुमने बहना के साथ किया वो तुम तक लौट के आएगा
जब बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से खायेगा।
तुम दोगे इज्जत बहनो को तुम्हारा बेटा भी ये देखेगा
वो भी बहन को इज्जत देना तुमसे ही तो सीखेगा।
एक बार चला जो जाए वो संसार नहीं मिलता।
भाई - भाभी के दरवाजे अब सत्कार नहीं मिलता।
माँ - बाप के बिना मायके में अब प्यार नहीं मिलता।।
धन्यवाद
सोनिया तिवारी
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