मुस्कुरा दो ना

नमस्ते दोस्तों,

जीवनसाथी अगर आपसे बहुत प्यार करे और जताये ना तो बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता। अगर हम किसी की फिक्र करते है तो हमे ये इज़हार भी करना चाहिए। कभी - कभी प्यार से बोला गया दो शब्द जादुई असर करता है। इसलिए इज़हार करना सीखिए, कभी प्यार से मुस्कुरा के देखिये, आपका प्यार और बढ़ेगा.........

 

“मुस्कुरा दो ना”

 

जब इतनी वफ़ा करते हो तो

क्यों मुझसे नहीं जताते हो

मैं लगा टकटकी बैठी हूँ

मुझे देख नहीं मुस्कुराते हो

तुम क्यों नहीं मुस्कुराते हो?

 

मैं पागल - पागल फिरती हूँ

तुम बदहवास से रहते हो

मैं जान छिड़कती हूँ तुम पर

तुम बिलकुल नहीं समझते हो।

 

जब करते हो परवाह मेरी

क्यूँ मुझसे नहीं बताते हो

मैं लगा टकटकी बैठी हूँ

मुझे देख नहीं मुस्कुराते हो

तुम क्यों नहीं मुस्कुराते हो?

 

हर एक शाम घड़ी पर ही

मैं नज़र टिकाये रहती हूँ,

तुम आओगे कब ऑफिस से

मैं पलक बिछाए रहती हूँ।

 

मुझे घर में तुमने जगह दिया

पर दिल में नहीं बसाते हो।

मैं जान छिड़कती हूँ तुम पर

मुझे देख नहीं मुस्कुराते हो

तुम क्यों नहीं मुस्कुराते हो?

 

मैं दौड़ी आउंगी तुम तक

कभी तो आवाज लगाओ ना

कभी बिना अल्फ़ाज़ों के

मेरी बात समझ भी जाओ ना

 

आँखों से करते हो गुफ़्तगू,

होठो से नहीं बुलाते हो।

मैं लगा टकटकी बैठी हूँ

मुझे देख नहीं मुस्कुराते हो

मुझे देख नहीं मुस्कुराते हो।।

 

मैं सब मुमकिन कर सकती हूँ

गर तुम थोड़ा मुस्कुरा दोगे

मैं आसमान छू सकती हूँ

गर तुम साथ मेरा दोगे।

 

हमसफ़र मेरे तुम बन बैठे

पर साथ नहीं चल पाते हो,

मैं लगा टकटकी बैठी हूँ

मुझे देख नहीं मुस्कुराते हो

तुम क्यों नहीं मुस्कुराते हो?

 

धन्यवाद,

सोनिया तिवारी


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