रिश्तों की अमरता



नमस्ते दोस्तों,
अपनी आज की इस रचना के माध्यम से मैं आप सबको रिश्तों का महत्त्व समझना चाहती हूँ। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम इतना ब्यस्त हो गए है की अपने रिश्तों को समय भी नहीं दे पाते। कई बार अपना भविष्य बनाने के लिए हम अपने रिश्तों को ही तोड़ देते हैं....लेकिन क्या रिश्ते हमें छोड़ देंगे। शरीर मरता है पर सम्बन्ध हमेशा अमर रहते हैं। इसलिए हमें अपने रिश्तों को भी प्राथमिकता देना चाहिए.....

“रिश्तों की अमरता”

कैसे तोड़ा जा सकता है उन रिश्तों को
जो ना तो बाज़ार में मिलते हैं
और ना ही बिकाऊ होते हैं
इन रिश्तों को जरुरत नहीं पड़ती
किसी जाप, मंत्र या तंत्र की
नहीं लिख सकता इन रिश्तों को कोई कागज़ पर
मैं नहीं जानती कि इन रिश्तों कि
गहराई और उंचाई क्या है,
मैं बस इतना जानती हूँ कि
महासागर कि गहराई और
हिमालय कि ऊंचाई दोनों
इन रिश्तों के आगे नतमस्तक हैं।

नहीं समा सकता अंतरिक्ष मे भी
इन रिश्तों का फैलाव
ना सजते हैं ना संवरते हैं ये रिश्ते
फिर भी नए से लगते हैं
नहीं बंध सकते हैं ये रिश्ते
सिर्फ शरीर से ,
नहीं मिटा सकता कोई इनकी अलौकिकता
नहीं कम कर सकती मैं इनकी दिव्यता
बस इतना कह सकती हूँ कि
वक़्त भी इन रिश्तों कि
सुंदरता को नहीं छिन सकता
हमेशा अमर थे हमेशा
अमर रहेंगे ये रिश्ते।
हमेशा अमर रहेंगे ये रिश्ते।।

धन्यवाद्।
सोनिया तिवारी।

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