आखिर दुल्हन क्यों रोती है


नमस्ते दोस्तों,
मेरी आज की ये रचना समर्पित है उस नई - नवेली दुल्हन को जो नए लोगों के बीच अपना सब कुछ छोड़कर इस भरोसे के साथ जाती है कि वह उस घर का हिस्सा बनेगी पर साथ ही साथ उसके मन में कई सारे डर भी होते है। मैं अपनी इस रचना के जरिये दुल्हन कि उन्ही भावनाओं को आप तक पहुंचाने कि कोशिश कर रही हूँ।

“आखिर दुल्हन क्यों रोती है”

आखिर दुल्हन क्यों रोती है
क्यों नहीं पूछते उसको तुम
क्या उसकी कोई इच्छा है?
बिन जाने प्रश्नों के उत्तर
उसको देनी हर परीक्षा है

नहीं पता कभी चलता उसको
आगे उसका क्या होना है
वह नहीं जानती है जिनको,
अब उनकी खातिर जीना है

दिन - रात दुखों की अग्नि में
बनकर चिता वो जलती है,
फिर भी नहीं पूछता कोई
आखिर दुल्हन क्यों रोती है?
आखिर दुल्हन क्यों रोती है.....

जिस घर में उसने जनम लिया
वो घर रहा हरदम पराया
अब जिस चौखट वो जाएगी
क्या बनेगा उसका सरमाया

अब लौट पिता की देहली पर
वो वापस सकती है
फिर भी नहीं समझता कोई
हाय!! दुल्हन क्यों रोती है
आखिर दुल्हन क्यों रोती है?

मन में हरदम एक डर सा है
आँखों में भी डर छाया है,
वो हर पल खामोशी सुनती है
अब चारों तरफ सन्नाटा है

चेहरे पर झूठी हंसी लिए
वो बंद कमरे में रोती है,
फिर भी नहीं पूछता कोई,
आखिर दुल्हन क्यों रोती है

अखबारों में कल तक जिन
खबरों को वो पढ़ती आयी,
अब खुद वो खबर बन जाये,
इस बात से हरदम घबरायी,

वो अपनी आंसू भरी आँखों में
एक अनजाना डर रखती है,
फिर भी नहीं समझता कोई
बेचारी दुल्हन क्यों रोती है!
आखिर दुल्हन क्यों रोती है।।

वो सबकी इच्छा सुनती जाये
वो सबके मन का करती है,
भर पेट खिलाती है सबको,
वो अन्नपूर्णा कहलाती है

पर अपनी इच्छा के खातिर वो
दुसरो पर निर्भर रहती है,
फिर क्यों नहीं समझता कोई
ये अन्नपूर्णा क्यों रोती है?
आखिर दुल्हन क्यों रोती है
आखिर दुल्हन क्यों रोती है...........

धन्यवाद,
सोनिया तिवारी

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