मै नारी हूँ

नमस्ते दोस्तों,

मेरी आज की ये रचना नारी के मजबूत व्यक्तित्व को समर्पित है। नारी एक तरफ तो ममता का सागर है और दूसरी तरफ उसका मजबूत हौसला पत्थर से भी टकरा जाने की क्षमता रखता है।

 

मै नारी हूँ

 

दुनिया ने सारे रीति - रिवाज

बस मेरे लिए बनाये हैं,

मैंने तो मांगी खुशियां थी पर

गम ही मेरे हिस्से आये है।

 

चंद बचे - खुचे जो सपने थे

वो भी गैरो पर वारी हूँ।

और बड़े गर्व से कहती हूँ

मै नारी हूँ, मै नारी हूँ।।

 

अबला का मुझको नाम दिया

पर सबल नहीं मुझ सा कोई

मै पत्थर से भी टकरा जाऊं

है प्रबल नहीं मुझ सा कोई।

 

मै जनम जीवन को देती हूँ

करती नौ महीने रखवाली हूँ।

और बड़े गर्व से कहती हूँ

मै नारी हूँ, मै नारी हूँ।।

 

तानों ने झुठलाए हरदम

मेरी भावना मेरे अर्थ

कठोर मर्द समाज मे मेरी

ममता हुई है व्यर्थ

 

जग भूल गया की ढाई अक्षर

प्यार की बस मै प्यासी हूँ,

मै बड़े गर्व से कहती हूँ

मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ।।

 

मै बोझ नहीं हूँ धरती पर

ये बात सबको बतला दूंगी,

मर्दो को टक्कर दूंगी मैं

और अपनी जगह बना लुंगी।

 

मै कोमल हूँ कमजोर नहीं

मै मर्द समाज पर भारी हूँ

और बड़े गर्व से कहती हूँ

मै नारी हूँ, मै नारी हूँ।।

 

नहीं चाहिए कोई सहानुभूति

मै बराबरी का हक़ मांगू,

जो मेरे लिए बनाया है

मैं उसको तो बेशक मांगू।

 

कितना भी आधुनिक बन जाऊ

मै निभाती जिम्मेदारी हूँ,

और बड़े गर्व से कहती हूँ

मै नारी हूँ, मैं नारी हूँ।।

 

आँचल में ममता लेकर भी

तलवार पकड़ मै सकती हूँ,

जब आंच मेरी ममता पर आये

मै झाँसी की रानी बन सकती हूँ।

 

करने को असुरों का मर्दन

मै दुर्गा रूप भी धारी हूँ,

और बड़े गर्व से कहती हूँ

मै नारी हूँ, मै नारी हूँ।।

 

त्याग, समर्पण की देवी

पग - पग पर मुझको कहते है,

जब मेरे जिस्म को नोचेंगे,

तब देवी नहीं समझते हैं।

 

नहीं नाम मुझे देवी का दो

मै इज्जत की अधिकारी हूँ,

मै गौरव, प्यार की मूरत हूँ

मै नारी हूँ, मै नारी हूँ।।

 

धन्यवाद

सोनिया तिवारी


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