दोस्ती

नमस्ते दोस्तों,

हम अपने जीवन में बहुत सारे रिश्तों को जीते हैंउन्हीं रिश्तों में एक खूबसूरत सा रिश्ता होता हैं दोस्ती काजीवन के रंगो के बारे में बात करते हुए अगर मैं दोस्ती की बात ना करुँ तो सही नहीं होगाइसलिए मैं आज की अपनी ये रचना अपनी दोस्ती और अपनी प्यारी सी दोस्त को समर्पित कर रही हूँ

 

“दोस्ती”

 

मुरझाये हुए मेरे जीवन में हरदम,

ठंडी घटा बन छा जाती हैं दोस्ती।

सूखने लगती है जब मन की आशाएं,

उम्मीद की बूंद बन बरस जाती है दोस्ती।।

 

भूल जाती हूँ मैं हर गम हर उदासी,

जब मेरे अंतर्मन में मुस्कुराती है दोस्ती,

लड़खड़ाते हैं पथ में जब भी कदम,

एकदम से आके सम्हालती है दोस्ती।।

 

समर्पण, दया की मूरत है मेरी सहेली,

हर गम से मुझको बचाती है दोस्ती।

आ जाते है जब भी मेरी आँखों में आंसू,

मुस्कुरा के मेरे गले से लग जाती है दोस्ती।।

 

टूटेगा जीवन में जो अब ना कभी,

मेरे लिए ऐसा अटूट बंधन है दोस्ती।

जहाँ लहजे की सीमा ना लिहाज है कोई,

वो एक स्वतंत्र आँगन है दोस्ती।।

 

मैं रोती हूँ, हंसती हूँ और खेलती हूँ,

मेरा बिसरा हुआ बचपन है दोस्ती।

सलामत रहे मेरा दोस्त हमेशा,

और सलामत रहे ये मेरी दोस्ती।

सलामत रहे ये मेरी दोस्ती।।

 

धन्यवाद,

सोनिया तिवारी


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